ISRO लॉन्च करेगा मौसम सैटेलाइट INSAT 3DS [17 फरवरी]

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इनसैट 3DS: इसरो इसरो ने हाल ही में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। इसरो ने 8 फरवरी 2024 को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई, जिसमें उन्होंने बताया है कि 17 फरवरी 2024 शनिवार के दिन शाम 5:30 बजे जीएसएलवी-एफ 14-इनसैट 3डीएस मिशन का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से किया जाएगा । GSLV का यह 16 वां मिशन है जिसमें जीएसएलवी का लक्ष्य insat 3ds मौसम उपग्रह को जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में तैनात करना है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा बनवाया गया INSAT 3ds satellite GSLV rocket से शाम 5:30 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया जाएगा । जानकारी के लिए बता दें ISRO में इसकी असेंबली का काम शुरू हो चुका है और आखिरी स्टेज में पहुंच गया है।  INSAT 3ds लांच करने का मुख्य उद्देश्य जमीन ,समंदर, मौसम और इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम की जानकारी प्राप्त करना है । यह डिजास्टर के दौरान पहले से ही महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाएगा जिससे की मौसम में होने वाले बदलाव के बारे में पहले से ही सूचित कर दिया जाएगा । इससे राहत और बचाव कार्य में काफी मदद मिलेगी।

INSAT 3DS रखेगा मौसम के मिजाज पर नज़र

जानकारी के लिए बता दे INSAT 3DS सीरीज के सेटेलाइट में 6 अलग-अलग प्रकार के जियो स्टेशनरी सेटेलाइट लगे हैं। वर्ष 2000 से 2004 के बीच भी INSAT सीरीज के  और भी सैटेलाइट लॉन्च किया जा चुके हैं। इन सभी सैटेलाइट का काम टेलीकम्युनिकेशन ,टीवी ब्रॉडकास्ट और मौसम से संबंधित जानकारियां देना है । इन सभी सेटेलाइट में 3 a, 3d , 3D प्राइम सैटेलाइट लगे हैं जो मौसम से संबंधित विशेष जानकारी देते हैं । यह सभी सैटेलाइट भारत और उसके आसपास के मौसम में बदलाव के बारे में समय से पहले ही जानकारी उपलब्ध कराते हैं ।

पाठकों की जानकारी के लिए बता दे इन्हीं सभी सेटेलाइट की मदद से मौसम विभाग मौसम में होने वाले बदलाव के बारे में पहले से ही बता देते हैं और तटीय क्षेत्रों में आने वाले तूफान और चक्रवर्ती बदलाव के बारे में पहले से ही सरकार और लोगों को सचेत कर देते हैं।

आईए जानते हैं क्या होता है GSLV F14

जीएसएलवी-एफ-14 जियोसिंक्रोनाइज्ड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल होता है । यह तीन चरणों वाला 15.7 मीटर लंबा वाहन होता है, जिसके माध्यम से स्पेस में सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया जाता है।  जीएसएलवी की सहायता से 17 फरवरी 2024 के दिन INSAT 3ds का प्रक्षेपण भी किया जाने वाला है । जीएसएलवी कुल तीन चरणों में बना होता है । पहले चरण में ठोस प्रणोदक मोटर होती है ,वहीं दूसरा चरण 40 तन प्रणोदक से भरा हुआ होता है।  तीसरा चरण क्रायोजेनिक चरण होता है जिसमें तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन लोडेड होते हैं ।

वायुमंडल के रिसर्च के आधार पर GSLV का उपयोग संचार नेवीगेशन या संसाधन सर्वेक्षण जैसे मिशन के दौरान अंतरिक्ष यान लॉन्च करने के लिए किया जाता है।

क्या है INSAT 3DS

INSAT 3DS तीसरी पीढ़ी का मौसम विज्ञान उपग्रह है ,जिसे GSLV  F14 की मदद से प्रक्षेपित किया जाएगा । यह मिशन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भविष्य में मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए करना है जिससे कि भूमि ,महासागर, पहाड़ों ,पहाड़ी इलाकों में मौसम से संबंधित रिसर्च की जा सके और पहले से ही आपदा प्रबंधन किया जा सके।  इस उपग्रह के माध्यम से मौसम से संबंधित सेवाओं को बढ़ाया जाएगा और मौसम के पूर्वानुमान में मौसम विभाग को सहायता मिलेगी।

INSAT 3DS से मिले हुए सैटेलाइट डाटा का उपयोग भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ,राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान ,भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और अन्य मौसम एजेंसियां द्वारा किया जाएगा।

GSLV-F14 INSAT 3DS MISSION का मुख्य उद्देश्य क्या है

  • जीएसएलवी f14 INSAT 3ds मिशन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी करना है जिससे की मौसम में होने वाले बदलाव के बारे में पहले से ही पता लगाया जा सके।
  • वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के बदलावों के बारे में भी यह सैटेलाइट पता लगाएगा।
  • इस सेटेलाइट से खोज और बचाए सेवाएं भी प्रदान की जाएगी।

INSAT 3ds की मुख्य विशेषताएं क्या है ?

इस सेटेलाइट की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से है

  • यह सेटेलाइट 6 चैनल इमेज 19 चैनल फाउंडर और डाटा रिले ट्रांसपोर्टर के साथ बनाया गया है जिसे भू स्थैतिक कक्षा में परिक्रमा के लिए लांच किया जाएगा।
  • यह सैटेलाइट निष्क्रिय और सक्रिय थर्मल प्रणाली द्वारा बनाया गया है और थर्मल लोड को कम करने के लिए डव वार्षिक फ्लिपकार्टया इस्तेमाल किया गया है।
  • इस सैटेलाइट का कुल वजन 2275 किलोग्राम है और भविष्य में मौसम विज्ञान सेवाएं और डाटा रिले और उपग्रह सहायता प्रदान करना इस सेटेलाइट के मुख्य उद्देश्य हैं।

निष्कर्ष: INSAT 3DS

इस प्रकार इसरो द्वारा 17 फरवरी 2024 शाम 5:30 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस सैटेलाइट को लांच किया जाएगा इस प्रकार अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो की एक और उपलब्धि भारत के खाते में आएगी।

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